पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/७८

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

A करणीषड्डिधम् । भाजक | भाज्य । लब्धि | क २२५ ) क ५६२५ क ६७५ ( रू ५ क ३ क ५६२५ क ६७५ क ६७५ द्वितीयोदाहरणे न्यासः । भाज्यः क २५६ क ३०० भाजकः क २५ २७ अत्र भाजके पञ्चविंशतिकरण्या घनत्वं प्रकल्प्य क २५ क २७ भाज्ये गुणिते धनर्णकरणीनामन्तरे च कृते जातम क ३०० के १२ | भाजके चक ४ | अनया भाज्ये हृते लब्धम् क २५ क ३ ॥ इदानीं पूर्वोदाहरणे गुण्ये भाजके च कृते न्यासः । भाज्य: क ६ क ४५० क ७५ क ५४ भाजकः क २५ क ३ पत्रिकरण्याः ऋत्वं प्रकल्प्य भाज्ये गुणिते युते च जातम् क ८७१२ १४५२ । भाजके च क ४८४ | अनया हते भाज्ये लब्धो गुणकः क १८ क ३ | पूर्व गुण के खण्डत्रयमासीदिति योगकरणीयम् क १८ विश्लेष्या | तत्र 'वर्गेण योगकरणी विहता विशुध्येत् -' इति नवात्मकवर्गेण ६ विहता सती