पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/७९

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७२ बीजगणिते-. शुध्यतीति लब्धम् २ | नवानां ६ मूलम् ३ | अ खण्डे १ । २ । अनयोः कृती १ ॥ ४ ॥ पूर्वलब्ध्या गुणिते २।८ एवं जातो गुणकः क २ क३८ । इति करणीभजनम् । ( २ ) उदाहरण में भाज्य क २५६ क ३०० और भाजक क २५ क २७ है। भाजक केक २५ को वन मानकर भाज्यको गुण दो गुण्य =क २५६ क ३०० गुणकक २५ क २७ क ६४०० क ७५०० क ६९१३ क ८१०० • गुणनफलक १०० क १२ यह हुआ । यहां क ६४०० क ८१०० इन करणियों के मूल ८०, ९० हुए इनका अन्तर १० हुआ। इसका वर्ग के १०० हुआ । क. ७५०० क ६९१२ इन करणियों का मूल नहीं मिलता इसलिये तीन का अप- वर्तन देने से क २५०० क २३०४ हुई, इनके मूल क्रम से ५० और ४८ आये, इनका अन्तर २ हुआ, इसके वर्ग ४ को अपवर्तन के अङ्क से गुणने से क १२ हुई । इस प्रकार भाज्य में क १०० और क १२ हुई । इसी भांति भाजक को भी गुण दो तो गुण्य =क २५ क. २७ |गुणक=क २५ २७ क६२५ ६७५ क६७५ क७२६ गुणनफल = क ४ यह हुआ ।