पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/६७

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बीजगणिते- ( १ ) क २ क ८ इनका योग क १० हुआ इसकी महती संज्ञा है फिर क २ क ८ इनका घात क १६ हुआ इसका मूल ४ हुआ इसको दूना किया तो ८ हुआ इसकी लघु संज्ञा है, अब महती क १० और लघु क ८ हैं इनका योग क १८ और अन्तर क २ हुआ !! ( २ ) क ३ क २७ इनका योग क ३० हुआ, फिर इनके घात ८१ के मूल र को दूना किया तो क १८ हुई बाद महती और लघु करणियों का योग क ४८ अन्तर क १२ हुआ || ( ३ ) क ३ क ७ इनका योग क १० हुआ, इनका धात क २१ हुआ अब करणीघात इक्कीस का मूल नहीं मिलता इसकारण क ३ क ७ यह पृथक् स्थितिही योग हुआ । इसीप्रकार क ३ क ७ अन्तर हुआ ॥ इस प्रकार प्रथमविधि के अनुसार करणियों के योग और अन्तर का गणित दिखलाया। अब दूसरे विधि के अनुसार गणित दिखलाते हैं --- ( १ ) क = में क २ का भाग लेने से लब्धि ४ आई इसका मूल २ हुआ इसमें १ जोड़ा और घटाया तो क ३ । क १ हुई इनका वर्ग रू १ | रू १ हुआ बाद इनको लघु करणी से गुणदिया तो योग क १८ और अन्तर क २ हुआ || ( २ ) क २७ में क ३ का भाग देने से इ लब्धि मिली इसका मूख ३ दुआ इसमें १ जोड़ा और घटाया तो क ४, क २ हुई इनका वर्ग से १६, रू ४ हुआ इनको लघु करणी से गुण दिया तो योग क ४८ और अन्तर क १२ हुआ || ( ३ ) क ७ में क ३ का भाग देने से मूल नहीं मिलता इस का- र अलग अलग रख देने से क ७ क ३ योग और कई क ७ अन्तर हुआ || करणी के जोड़ने और घटाने का प्रकार समाप्त हुआ ||