पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५९

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

५२ बीजगणिते - इसको भाज्य में यथास्थान घटाने से 'या ६ का ४ नी २. रू २' शेष रहा लब्धि २ मिली | फिर भाज्य में यावत्तावत् ६ हैं भाजक को रूप दोसे गुण देने से जो गुणनफल होगा वह भाग्यसे शुद्ध होगा इस कारण रूप २ से भाजक 'या ३ का २ नी १ रू. १' को गुणने से या ६ का ४ नी २ रू २' हुआ इसको भाग्य शेष ' या ६ का ४ नी २ रू. २१ में बटाने से शेष कुछ नहीं बचा और सब लब्धि या ६ का ४ नी २ रू.२ मिली ॥ अनेक का गुणन और भजन समाप्त हुआ ॥ अनेकवर्ण के वर्ग का उदाहरण - रूप एक से सहित ऋण यावत्तावत् तीन, ऋण कालक दो और बन नीलक एक इनका वर्ग क्या होगा । लिये न्यास | ( १ ) वर्ग के या ३ का २ नी १ रू १ या ३ का २ नी १ रू. १ यावया का ६ या. नी ३. या ३ का या ६ का ४ का नी २ का २ नो. या ३. नी. का २ नीव १ नी १ या ई का रं नी १ रू १ वर्ग आया. का १२ या. नी ६ या ६ का ४ का नी४ का ४ बीब १. नी २ रू १ । अनेकवर्ण के मूल का उदाहरण - " याव १ या. का १२ या. नी ६ या ६ का ४ का. नी ४ का ४ नीव १ नी २ रू १ ? इस वर्गात्मक संख्या का मूल क्या होगा । ,

( १ ) यहां ' कृतिभ्य आदाय पदानि ' इस सूत्र के अनुसार यावर

का व ८ नीव १ और रू १ इनके मूल ' या ३ का २ नी १ रू १ आये इनमें दो दो का दूना घात करने से ' या. का १२ या. नी ६