पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५८

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अनेकवर्णषद्वयम् । गुणका ६ का ४ नी २ रू २ ५१. याव १८ या. का १२ या. नी ६ या ६ का. या १२ काव ८ का. नी ४ का ४ नी. या ६ नी का ४ नीव २ नी २. 4 या हूँ का ३ नी १ रू. १. यां में संप में कौर करे गुणनफल = यावं १८ या. का २४ या.नी १२ या १२ काव = का.नी का ६ नीव २ नी ४ रू २ । अनेकवर्ण भजन का उदाहरण - ● याव १८ या. का २४ ग्रा.नी. १३ या १२ का ८ का.नी का दं नीव २ नी ४ रू २ इसमें या ३ का २ नी १ रू १ इसका भाग से क्या लब्धि मिलेगी । ५. ( १ ) यहां पर 'भाज्याच्छेदः शुध्यति --- इस रीति के अनुसार लब्धि लेनी चाहिये तो भाज्य में प्रथमं यावत्तावर्ग अठारह है और भाजक में यावत्तावत् तीन हैं भाजक को यावत्तावत् तीनसे गुण देने में ऋण यावत्ताव- दुर्ग होते हैं इनको यदि घटा देवें तो धन होजाने के कारण योग होनेसे शोधन न होगा इसलिये ऋण यावचावत् छः से भाजक को गुण देने से शोधन होगा इस कारण या ६ से भाजक को गुणने से 'याव १८ या. का १२ या.नी ६ या ६' हुआ इसको भाज्य में यथास्थान घंटाने से या. का १२ या. नी ६ या ६ काव = कानी ६ का ८. नीव २ नी ४ रू २' शेष रहा लब्धि या ६ मिली । अब भाज्य में यावत्तावत्कालक भावित है तो ऋण कालक चार से भाजक को गुणने से 'या. का १२ का व ८ का. नी ४ का ४१ हुआ इसको भाज्य में यथास्थान घटा देने से 'या.नी ६ या ६ का.नी ४ का ४ नी व २ नी ४ रू. २१ शेष बचा लब्धि का ४ मिली | फिर भाग्य में यावत्तावन्नीलक भावित है तो नीलक दो से भाजक को गुण देनेसे 'या. नी ६ का.नी ४ २२