पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५७०

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भावितम् । ५६६ पने भवतस्तादृशमुदाहरणं पूर्वचतुर्थमस्तीति तदेव प्रदर्शयति- याविति ।। 'यौ राशी किल- 'इस पूर्व उदाहरण में या १ । का १ राशि कल्पना किये उनका घात याकामा १ हुआ और उनके वर्ग याव १ | काय १ हुए इन सब का योग याव १ काव १ याकामा १ या १ का १ इन्हीं दोनों राशि से घंटे हुए तेईस के वर्ग 'यात्र १ काव १ याकामा २ या ४६ का ४६ रू ५२६' के तुल्य है इस कारण समीकरण के लिये न्यास | याव १ काव १ याकामा १ या १ का १ रू० याव १ काव १ याकामा २ या ४६ का ४६५२६ 'भावितं पक्षतोऽभीष्टात् - इसके अनुसार क्रिया करने से हुए या ४७ का ४७ रु ५२६ याकामा १ वर्णांक ४७ १४७ का घात २२०६ हुआ इसमें ऋण रूप ५२६ जोड़ देने से १६८० शेष रहा इसमें इष्ट ४० का भाग देने से फल ४२ आया अब इष्ट ४० और फल ४२ को वर्णक ४७ । ४७ में घटा देने से राशि ७ [५ आये । और यदि इष्ट ४० तथा फल ४२ को बर्णाङ्क ४७ । ४७ में जोड़ देवें तो 'जातं त्रयोविंशतिः' यह यालाप नहीं घंटेगा || चतुर्थोदाहरणंम् - 'पञ्चाशत्त्रियुताथवा -' इति । अत्रोदाहरणे यथोक्ककृतभाविताङ्केन विभक्के जातम् या १०७ का १०७ रू २८० वर्षाङ्कातिरू- पैक्यम् ८६४० इष्टतत्फले ६० १६६ आभ्यां वर्णाङ्का- वृनितौ राशी ११ । १७ एवमन्यत्रापि । १ कुत्रचिन्मूलपुस्तके 'दुबौदाहरणम्' इति पाटः ।