पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५६८

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भावितम् । उदाहरपम्- त्रिपञ्चगुणराशिभ्यां तो राश्योर्वधः कयोः । द्विषष्टिप्रमितो जातस्तौ राशी वेत्सि चेद ॥ १०५॥ अत्र यथोक्ते कृते जातो पक्षों या इंकारू या का भा १ वर्णाहतिरूपैक्यम् ७७ष्टले ७११ आभ्यां वर्णातादेव इष्टतत्फलाभ्यामाभ्यां ७ | ११ ऊनितौ चेद्धिधी येते तदा ऋणगतौ भवतः अत आभ्यां ७१११ युतौ जातौ राशी ६ । ४ वा २ | ८ ऊनितौ १२ | १४ | १६ । १० अथवा रूपाणि तु धनं स्युस्तादृशमुदाहरणमनुष्टु- भाह — त्रिपञ्चेति । स्पष्टोऽर्थः ॥ उदाहरण- वे दो राशि कौन हैं कि जिनका घात त्रिगुण तथा पश्चगुण राशि जोड़ देने से बासठ के तुल्य होता है । कल्पना किया कि या १ । का १ राशि हैं इनका घात या का मा १ हुआ इसमें ३ और ५ से गुणेहुए उन राशियों को जोड़ देने से, या ३ का ५ याकामा १ यह योग ६२ के तुल्यं हुआ " या ३ का ५ याकामा १

'आवितं पक्षतोऽभीष्ठात्' इस सूत्रके अनुसार हुए