पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५६७

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वीजगणिते - अत्र त्रयाणामपि धनत्वे‘चतुत्रिगुणयो:-- 'इत्युदाहरणं प्रदर्शि- तम् । अथ यत्र वर्णाधनं रूपाणि ऋरणं स्युस्तादृशमुदाहरणमनुष्टु भाह-द्विगुणेनेति । उत्तानाशयः ॥ उदाहरण- वे दो कौन राशि हैं जिनका दूना वात अट्ठावन से ऊन दस और चौदह से गुणे हुए उन्हीं राशियों के योग के समान होता है 1 राशि या १, का १ हैं इनका दूना घात या का भा २ । १० और १४ से गुणेहुए या १० का १४ इन्हीं राशियों के ५८ से ऊन किये हुए योग या १० का १४ रू ५८ के तुल्य होता है, इसलिये साम्य करने के [अर्थास या १० का १४ रू ५८ या की भा २ ‘भाविताङ्केन ततः पक्षौ विभज्य च' इसके अनुसार भाविताङ्क २ के भाग देने से हुए या ५ का ७ रु २६ या का भा १ और वर्णाङ्क ५ । ७ का घात ३५ हुआ इसमें 'वनर्ययोरन्तरमेव योग : ' इस सूत्र के अनुसार २६ जोड़ देने से शेष ६ रहा इसमें इष्ट २ का भाग देने से ३ फल आया अब इष्ट २ और फल ३ को वर्णाङ्क ५ में जोड़ देने से व्यत्यय से उनके मान १० । ७ हुए अथवा ६ | हुए और इट २ तथा फल ३ को वर्णाङ्क ५। ७ में घटा देने डे व्यत्यय से उनके मान ४ | ३ व ५ । २ हुए ॥