पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५६३

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५६० बीजगणिते--- इष्टफले १ | १४ | एते वर्णाभ्यां ४ | ३ स्वेच्छया युते जाते यावत्तावत्कालकमाने ४ | १८ वा १७ । ५ द्विकेन जाते ५ | ११ वा । १० । ६ । 4 चतुत्रिगुणयो:-~~' इस पहिले उदाहरण के अनुसार तुल्यपक्ष हुए या ४ का ३ रू २ , या का भा १ यहां वर्णाङ्क ४ | ३ घात १२ हुआ इसमें रूप २ जोड़ने से १४ हुआ इस इष्ट १ का भाग देनेसे फल १४ अब इष्ट १ और फल १४ क्रम से वर्णाङ्क ४ | ३ में जोड़देने से कालक का मान ५ और यावत्तावत्का मान १७ आया । अथवा इष्ट १ और फल १४ को कालक यावत्तावद्वर्णाङ्क ३ १ ४ में जोड़ने से उनके मान ४ | १८ हुए इसलिये 'एताभ्यां संयुतावूनौ कर्तव्यौ स्वेच्छया च तौ' यह कहा है । अथवा वर्णाङ्क घात १२ और रूप २ इनके योग १४ में इष्ट २ का भाग देने से फल ७ आया अब इष्ट २ और फल ७ को कालक और यावत्तावत् के अङ्क ३ | ४ में जोड़देनेसे यावत्तावत् और फालक के मान ५ / ११ हुए || भावितोपपत्ति- समान पक्षों में समानही घंटाने से उन नष्ट नहीं होता, इसलिये पक्षों में भावितसमान घटाया है, फिर पक्षों में अन्यपक्ष

समान घटाया है। इस प्रकार पक्ष भावित के समान होगा । यदि

भावित किसी से गुणित होवे तो उस भाविताङ्क का पक्षों में भाग देकर पक्ष को भावित के समान बनाना। बाद राशि जानने के लिये यावत्तावत् और कालक राशि कल्पना किये तथा अव्यक्तों के अङ्कको कम से और क मान लिपे तब पक्ष भावितके समान हुआ -