पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५५३

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• बीजगणिते- यह १६ के भागदेने से शुद्ध होता है इसलिये हर १६ और ब्धिका १ का घात भाज्यके तुल्य हुआ याव ५ रू ३ का १६ रु ० समशोधन से हुए याव ५ रु. ० का १६ रू ५ से गुणने से हुए याव २५ रू० का ८० रू १५ " । पहिले पक्ष का मूल वा ५ आया। दूसरे पक्ष का ८० रू १५ में मूल तथा रूपपदका अभाव है इसलिये वहां पाठपठित हर का १६ लिया और रूप शोधनादि सिद्ध १५ ग्रहण किया इसभांति दूसरे पक्षका स्वरूप का १६ रू १५ हुआ । यहाँ हार १६ से तष्ठित किये हुए रूप १५ में हर १६ जोड़ देने से १ शेष रहा उसका मूल १ रूपपद है । और इष्ट ८ का वर्ग ६४ हर १६ के भागने से शुद्ध होता है तथा बड़ी अंक ८ दो और रूपपद १ से गुणा १६ हर १६ के भागने से शुद्ध होता है इसलिये उस इष्ट ८ से अन्य वर्ण नी १ को गुणकर उसमें रूपपद १ जोड़कर दूसरे पक्ष के मूलस्थान में कल्पना किया अब उसके वर्ग का दूसरे पक्ष का १६ रू. १५ के साथ साम्य के लिये न्यास | का १६ नीव. नी० रू. १५ का० नीव ६४ नी १६ रू १ १ समशोधन से हुए • का १६ नीव का ० नीव ६४ नी १६ रु १६ 0 नी० रू०