पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५५

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४८ बीजगणिते -. न्यास । याव १६ या ४८ रु ३६ | इस वर्गराशि में यावत्तावत् वर्ग सोलह और रूप छुत्तीस ये दो वर्ग हैं इनसे मूल या ४ रू ६ मिले, इन दोनों के घात द्विगुण को या ४८ संशोध्यमानं स्वमृणत्वमेति - " इस सूत्र के अनुसार शेष या ४८ में बढ़ाने लगे तो ऋणों का योग होजाने से न घटा इस लिये उन दोनों में से एक को ऋण कल्पना किया तो द्विगुण दोनों का घात या ४८ ' संशोध्यमानमुणं धनं भवति ' इस रीति से धन होनेपर 'धनर्णयोरन्तरमेव योग: ' इसके अनुसार घटगया तो या ४ रू ६ अथवा या ४ रू ६ मूल मिला परंतु यहांपर पूर्व मूल ही अपेक्षित है क्योंकि इसी मूल का. किया था ॥ 2 अव्यक्त राशि के वर्ग और वर्गमूल का प्रकार समाप्त हुआ । अव्यक्त षड्डिध समाप्त हुआ अनेकवर्णषड्डिधम् । तत्र संकलनव्यवकलनयोरुदाहरणम्- यावत्तावत्कालक- नीलकवर्णास्त्रिपञ्चसप्तवनम् । द्वित्र्येकमितेः क्षयः सहिता रहिताः कति स्युस्तैः ॥ १० ॥ न्यासः । या ३ का ५नी ७ १ या २ का ३ नी । योगे जातम् या १ का २ नी ६ | वियोगे जातम् या ५ कानी | इत्यनेकवर्णसंकलनव्यवकलने