पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५६

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अषधम् । इस प्रकार एक वर्णषधि के उदाहरण कहकर अब कर्णध के उदाहरण कहते हैं — वहां भी पहिले अनेकवर्ण के संकलन और ४६. व्यवकलन का उदाहरण- धन यावदावत् तीन, कालक पांच और नीलक सात ये ऋण यांव- तात् दो, कालक तीन और नलिक एक से सहित और रहित क्या होंगे ॥ ( १ ) न्यास | योज्य == या ३ का ५७ ( इनका योग या १ का २ नौ ६ योजक = या २ का ३. नी १: हुआ। ( २ ) न्यास | वियोज्य = या ३ का ५ नी ७ १ इनका अन्तर उक्त प्रकार के - वियोजक: = या रंकाईनी १ 5 सार या ५ का ८ नी ८ हुआ | अनेकवर्ण का संकलन और व्यवकलन समाप्त हुआ | गुणनादेरुदाहरणम्- यावत्तावत्यमृमृणं कालको नीलकः स्वं रूपेणाढ्या द्विगुणितमिस्ते तु तैरेव निघ्नाः । किं स्यात्तेषां गुणनजफलं गुण्यभक्तं च किं स्याद् गुण्यस्याथ प्रकथय कृतिं मूलमस्याः कृतेश्च ॥ ११॥ न्यासः । गुण्य या ३ का रंनी १रू १ २ गुणकःया ६ का ४ नी २रु.२. गुणिते जातम् याव १८ काव = नीव २ याकामा २४