पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५३७

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बीजगणिते - -१ जोड़ने से नीलक पक्षका मूल नी १ आया और दूसरे पक्ष 'काय ३ रू १ ' का वर्ग प्रकृति से, वहां इष्ट ४ कनिष्ठ है उसके वर्ग १६ प्रकृति गुणित ४८ क्षेप १ थुंत ४६ का मूल ७ ज्येष्ठ हुआ। कनिष्ठ कालक मान है उस ४ के घन ६४ से राशि काघ १ रू. ३ • में उत्थापन देकर ३ उसमें १ घटाकर हर ३ का भाग देने से राशि २२ आया | वा कनिष्ठ १५ से ज्येष्ठ २६ हुआ कनिष्ठ १५ कालक का मान है इसके धन ३३७५ में १ वटाकर हर का भाग देनेसे राशि ३३७४ । उदाहरणम्- वर्गान्तरं कयो राश्योः पृथग् द्वित्रिगुणं त्रियुक् । वर्गो स्यातां वद क्षिप्रं षट्क पञ्चकयोरिव ॥ १७ ॥ अथ विशेषमदर्शनार्थमपरमुदाहरणमनुष्टुभाह-वर्गान्तर मिति । षट्पञ्चकयो वर्गान्तिरमुक्तविघमस्तीति सुप्रसिद्धं तावत् । परं त्वेतयोर्व- र्गान्तरं यथोक्कविधमस्ति तथान्ययोः कयोरस्तीति प्रश्नाभिप्रायः || www.com उदाहरण- अलग २ पांच, और छके समान वे दो कौन राशि हैं जिनके वर्गान्तर अलग ३ से गुणकर ३ जोड़ देनेसे वर्ग होते हैं । राश्योरव्यककल्पने क्रिया न निर्वहतीति वर्गान्तरमेवाव्यक्तं कल्प्यमिति प्रदर्शय मनुष्टुभाह- परराशियों का व्यक्तमान मानने से क्रिया नहीं निबहती इसलिये वर्गान्तरही को अव्यक्त कल्पना करना चाहिये इत्यादि युक्ति दिखलाते हैं ---- कत्रिदादेः कचिन्मध्यात्कचिदन्त्यात्क्रिया बुधैः |