पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५३६

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् । कनिष्ठं कालकमानम् ४ अस्य घने ६४ नोत्थापितो जातो राशि: २१ | वा ३३७४ ३ पूर्व घनमूले गृहीते सत्यन्यवर्णस्य घनेन समीकरणं कार्यमित्युक्तं तत्रोदाहरणमाद्यैरनुष्टुभा निबद्धं दर्शयति – कइति । को राशिस्त्रिभिरभ्यस्तो गुरिणतः सरूपो धनो जायते । घनस्य मूलं कृती- भूतं वर्गीकृतं प्रभ्यस्तं त्रिगुणितमेकयुक् कृतिः || उदाहरण-- वह कौन राशि है जिसको तीन से गुणकर एक जोड़ देते हैं तो घन होता है और घनमूल के वर्ग को तीनसे गुणकर एक जोड़ देते हैं तो वर्ग होता है । राशि या १ त्रिगुण और एक से युत या ३ रू १ हुआ यह घन है इसलिये काघ १ के साथ साम्य या काघ १.रू ० समशोधन से यावत्तावत्का मान काघ ३ रूई या ३

  • आया इसका वर्ग त्रिगुण रूप युत

= काघ १ रू १ · का ध १ रू १ या ३ काय ३ रु १ नीव १ रु ० समशोधने से हुए से हुआ इसमें १ जोड़ने से घनमूल का १ वर्ग है इसलिये नीव १ के साथ साम्य काय ३६० नीव १ रू ६ हुआ यह ३ से गुणनेसे