पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५३०

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__$ अनेकवर्णमध्यमाहरणम् | दूसरे पक्ष में रूपसे युक्त वा हीन अव्यक्त होषे वहां सरूप अन्यवर्णके घन के साथ समीकरण करके अव्यमान सिद्ध करो, और उस वर्णात्मक अव्यक्तमानसे राशिमें उत्थापन दो, और आयपक्ष मूलका कल्पित सरूप अन्यवके साथ समीकरण करके फिर अन्य क्रिया करो यदि अन्य क्रिया न हो तो सरूप अन्यवर्ण के वर्गादिक के साथ समीकरण न करो क्योंकि वैसा करनेसे राशिका मान अव्यक्त आवेगा किंतु व्यक्त राशिके वर्गादिके साथ समीकरण करो इसभांति राशिका मान व्यक्त होगा। यहां पर अव्यक्त के वर्ग घंन आदि ऐसे कल्पना करो कि जिसमें राशिका मान अभिन्न मिलै ॥ उपपत्ति- एक पक्षके मूल लेके अनन्तर यदि दूसरे पक्ष में सरूप अथवा अरूप अव्यक्त हो तो वह भी वर्गात्मक है क्योंकि पक्षों की समता ठहराई है अब वहां पर यदि केवल अव्यक्त होवे तो अन्यवर्ण के वर्ग के साथ सम क्रिया करनी चाहिये और जो रूपके साथ अव्यक्त होवे तो सरूप अन्य वर्ण के वर्ग के साथ समीकरण करना उचित है क्योंकि बैसा करने से दूसरे पक्ष में सरूप वर्णवर्ग होगा तब वर्गप्रकृति का विषय होगा || उदाहरणम्- wwwwww यस्त्रिपञ्चगुणो राशिः पृथक् सैकः कृतिर्भवेत् । वद तं बीजमध्ये ऽसि मध्यमाहरणे पटुः || ६६ || अत्र राशि: या १ एष त्रिगुणः सैकः या ३ रू १ अयं वर्ग इति कालकवर्गसमं कृत्वा पक्षयो रूपं प्रक्षिप्य लब्धं कालकपक्षस्य मूलम् का १ अन्यपक्षस्यास्य या ३ रू १ सरूपनीलकत्रयस्य वर्गेण नीव ६ नी६