पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५३

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बीजगणिते- अव्यक्तराशि के वर्गमूल का प्रकार --- वर्गराशि में जितने अव्यक्त अर्थात् वर्ण हों उनका मूल लो और उन मूलों में से दो दो मूलों के दूने घात को शेष में ( जिस वर्गात्मक राशि से मूल लिया गया था उसमें ) घटादो तो वे मूल होते हैं, इसी प्रकार वर्गराशि में रूप होवैं तो उनका मूल लेकर उक्त क्रियाकरो, जो रूपों के होनेपर उनका मूल न मिले तो वह वर्गरराशि ही नहीं है ॥ उपपत्ति- राशि का समान दो घात वर्ग होता है, यह पारिभाषिक संज्ञा है । जिसका वर्ग किया जाता है वह राशि गुण्य और गुणक दोनों होता है वहां एकखण्डात्मक वर्ग में किसका यह समद्विघात है इस प्रकार समद्विघात के . खोजकरने से मूल का जानना सुगम है। अब दो खण्डवाले राशि के वर्ग करने के लिये न्यास | गुण्य या ४ रू ६. गुणक = या ४ रू ६ पहिली पतिया १६ या २४ दूसरी पड्कि या २४ रु ३६ गुणनफल = याव १६ या ४८ रु ३६ देखो यहां पहिली पक्कि में पहिले खण्ड का ( या ४ का वर्ग १६ ) वर्ग और दोनों खण्डों का घात ( या ४ रू ६ का घात या २४ ) है इसी प्रकार दूसरी पङ्क्ति में दोनों खण्डों का घात ( या ४ रू ६ का घात या २४ ) और दूसरे खण्ड का वर्ग ( रू ६ का वर्ग रू ३६ ) है । अर्थात् दोनों पङ्क्ति में दोनों खण्डों का घात है अब उन दोनों खण्डों का योग करने से दूना दोनों खण्डों का घात होता है वही द्विगुण दोनों खण्डों का घात या ४८ गुणनफल की पङ्क्ति में लिखा है। इससे स्पष्ट