पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५२७

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बीजगणिते- कष्ट ७२ है उससे ज्येष्ठ १६१ आया कनिष्ठ ४ यावत्तावन्मान है उसे दूना करने से पहिला राशि हुआ, ज्येष्ठ दूसरा राशि है ६ | वा १४४ । १६१ / यहां जो राशि लघुराशि के वर्ग से ऊन युक्त मूलद हो उसे व्यक्ता- त्मक दूसरा जानो, उसके जानने के वास्ते यह विधि कहा है। यहां लघुराशि वर्ग ४ है इससे ऊन युत दूसरा राशि मूलद है । लव १ द्विरा १ । लराव २

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इसलिये लघुराशि का वर्ग ४ दूना ८ किसी दो राशिका वर्गान्तर है और वह योगान्तरघातके तुल्य होता है इसलिये ' वर्गान्तरं सशिवियोग- भक्तं --' इसके अनुसार वर्गान्तर ८ में कल्पित बियोग २ का भाग देनेसे योग ४ आया इनसे संक्रमणसूत्र से राशि १ | ३ आये । ये वर्गान्तर और वर्गयोग के मूल हैं। इनमें पहिले राशि १ का वर्ग १ है इसमें कपिलधुरा २ का वर्ग ४ जोड़ देनेसे दूसरा राशि ५ है । अथवा दूसरे राशि ३ के वर्ग ६ में लघुराशि वर्ग ४ घटा देनेसे वही राशि ५ आया और ४ का मूल २ यह पहिला राशि हुआ आलाप -- बृहद्राशि ५ में लघुराशि वर्ग ४ जोड़ देने से वर्ग ६ हुआ इसीभांति घटा देने से वर्ग १ हुआ, और १ १६ इनकार दूने लघुरशि वर्ग X २ ३ ६ । ४== के तुल्य है इसलिये लघुराशि वर्ग दूना, वर्गान्तरके सम है । यहां पर लघुराशि वर्ग ऐसा मानना चाहिये जिसमें दूसरा राशि अभिन्न आवे, जैसा दूसरा राशि ३६ कल्पना किया, वह दूना करने से ७२ हुआ यह वर्गान्तर है इसमें कल्पित राश्यन्तर ६ का साथ देने से योग १२ आया अव १२ । ६ इन योग त्रियोग पर से संक्रमण से राशि आये ३१६ ये वर्गान्तर और वर्गयोग के मूल हैं। इनमें पहिले शशि ३ के वर्ग में कल्पित राशि ६ वर्ग ३६ जोड़ देनेसे दूसरा राशि ४५ हुआ। और दूसरे मूल ६ वर्ग ८१ में कक्षित राशि वर्ग ३६ घढ़ा देनेसे भी वही