पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५२०

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् | उदाहरण-- वे दो न्यूनाधिक कौन राशि हैं जिनके योग तथा अन्तर २ जोड़ देने से मूल आता है और वर्गों के योग में ४ घटादेने से मूल आता है और वर्गों के अन्तर में १२ जोड़ देने से मूल आता है और उनके घात के आधे में लघु राशि जोड़ देने से घनमूल च्याता है इस भांति पांचों मूलों के योग में २ जोड़ देने से भी वह ( योग ) वर्ग होता है ॥ ५.१५. पहिले रूपोन च्पव्यक्त को वियोगमूल मानकर राशियों का साधन करते- हैं — वियोगमूल या १ रू १ है यहां योगान्तरक्षेप ३ का वर्गान्तरक्षेप १२ में भाग देने से ४ लब्धि आई इसका मूल २ हुआ इसको योग में जोड़ देने से या १ रू १ यह योगमूल हुआ इन दोनों के वर्ग हुए वियोगमूलवर्ग = याव १ या २ रू. १ योगमूलबर्ग = याव १ या २ रू १ इन में संक्षेप ३ योगान्तरक्षेप घटा देने से वियोग और योग हुआ । वियोग = याव १ या ३ रू २ योग = याव १ या २ रू. ३ इन पर से ' योगोऽन्तरेणोनयुतोर्धितः -' इस सूत्र के अनुसार राशि " हुए याव १ रू. २ | या २ इनका योग याच १ या २ रूं २ हुआ इसमें ३ जोड़ने से याव १ या २ रू १ हुआ इसका मूल या १ रू १ है | राशियों के वर्ग यावव १ छात्र ४ रू ४ | याक हुए इनका योग + ^ यावव १ रू ४ हुआ इसमें ४ घटा देने से शेष यावव १ रहा इसका. मूल याव १ है । और राशियों का वर्गान्तर यावव १ याव दं रू. ४ बुआ. इसमें १२ जोड़ देने से यावत्र १ याव के रू १६ हुआ इसका मूल.. याव १ रू ४ है । राशियों प्याव १ रू २ । या २ के घात याघ २ या ४ के घ्यावे याच १ या २ में लघु राशि या २ जोड़देने से याघ १ हुआ इसका घनमूल या १ है इसभांति पांचों मूलों का क्रम से न्यास ।