पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५२१

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५१६ बीजगरिंगतें- या १ रू १ या १ रू १ याव १ रु ० याव १ रू यह १ रू० इनका यथास्थान योग याव २ या ३ रू ४ हुआ इसमें २ जोड़ देने से याव २ या ३ रू ३ हुआ यह वर्ग है इसलिये कालकवर्ग के साथ समीकरणके अर्थ न्यास याव २ या ३ काव • रू रं याव ० या ० का १ रु ० समशोधन करने से याव २ या ३ काव ० रू ० याव ० या ० का १ रु २ आठ गुणकर रूप ६ जोड़ने से याव १६ या २४६६ काव ८ रु २५ पहिले पक्ष का मूल या ४ रू ३ आया और दूसरे पक्ष काव ८ को प्रकृति और रू २५ को क्षेप कल्पना किया फिर इष्ट ५ को कनिष्ठ मान कर उसका वर्ग २५ हुआ प्रकृति ८ से गुण देने से २०० हुआ इस में क्षेप २५ जोड़नेते २२५ हुआ इसका भूल १५ ज्येष्ठ है। इसके साथ पहिले पक्ष के मूलका समीकरण के लिये न्यास |

या ४ रु ३ या ० रू १५ समशोधन करने से यावत्तावत्को उन्मिति ३ आई | अथवा कनिष्ठ १७५ है इससे ज्येष्ठ मूल ४६५ हुआ इसके साथ पूर्वमूल या ४ रू ३