पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४८६

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् | का ३ रू ३ का० रू १५ दोनों स्थानों में समीकरण करने से क्रमसे यावत्तावत् तथा कालककी उन्मिति २ । ४ थाई । ये दोनों गच्छोंके प्रमाण हैं । अथवा | कनिष्ठ ३३ है उससे ज्येष्ठमूल ५७ आया अब कनिष्ठ ३३ का पहिले मूलके साथ और ज्येष्ठका दूसरे मूलके साथ समीकरणके लिये न्यास । या ३ रू ३ या० रु ३३ का ३ रु ३ दोनों स्थानों में समशोधन करने से यथाक्रम यावत्तावत् तथा कालक की उन्मति आई १०।१८ ये दोनों गच्छ हैं । (१) ३ | चय २ | गच्छ २/ ( २ ) आदि ३ | चय २ । गच्छ ४ । 'व्येकपदघ्न-' इस सूत्रके अनुसार धन हुए ( १ ) मध्यधन ४ | अन्त्यधन ५ | सर्वधन 4 ८ ( २ ) मध्यवन ६ | अन्त्यधन ६ | सर्वधन २४ पहिली श्रेढी संबन्धि फल ८ है यह ३ से गुण देनेसे २४ हुआ यही दूसरा फल है । अन्यत्सूत्रं वृत्तम् सरूपके वर्णकृती तु यत्र तत्रेच्छयैकां प्रकृति प्रकल्प्य |