पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४७७

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४७२ बीजगणिते~ क १० | ज्ये २० | वा, क १७० । ज्ये ३८० | कृत्यापवर्ते कृते ' ज्येष्ठं कनिष्ठेन तदा निहन्यात्-' इति जातम् ज्ये २०० । वा । ज्ये ६४६०० इदं काल- कमानं कनिष्ठं प्रकृतिवर्णमानं स एव राशिः १० । वा । १७० । उदारहण- वह कौन राशि है जिसके पञ्चगुण वर्गवर्ग में शतगुण राशिवर्ग घटा देने से वर्ग होता है । राशि है या १ उसका वर्गवर्ग यायव १ हुआ ५ से गुण देने से यावत्र ५ हुआ इसमें शतगुण राशिबर्ग याव १०० घटा देने से यावव ५ याव १०० हुआ यह वर्ग है इसलिये कालकवर्ग के साथ समीकरण के अर्थ न्यास | यावव ५ याव १०० काव, यावव ० याव ० कात्र १ समशोधन करने से पक्ष यथास्थितरहे कालक पक्षका मूल का १ आया और दूसरे पक्षमें यावत्तावत्वर्ग का अपवर्तन देने से याव ५. रू १०० हुआ अब यावत्तावद्गक ५ को प्रकृति और रूप १०० को क्षेप कल्पना किया बाद इष्ट १०० कनिष्ठ मानकर उस का १०० हुआ प्रकृति ५ से गुण देने से ५० हुआ इसमें क्षेप १०० घटा देनेसे शेष ४०० रहा उसका मूल २० ज्येष्टमूख हुआ यहां दूसरे पक्ष में यावत्तावत् वर्गका अपवर्तन दिया था इसलिये ज्येष्ठ २० कनिष्ठ १० से गुण देनेसे दूसरे पक्षका मूल २०० हुआ इसका प्रथम