पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४७४

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् । या. २ रू १ व्यथवा, या २ रू १ या ० रू ६७ , समशोधन करने से यावत्तावत् की उन्मति ३ आई अथवा, ४८ । यहां ‘ ह्रस्वं भवेत्प्रकृतिवर्णमिति : ---- ' इसके अनुसार कालक प्रकृतिव होने से कनिष्ठही कालक का मान हुआ अब यावत्तावन्मान ३ में कालक मान २ को घटा देने से राशि १ । ५ हुए, अथवा २०१७६ क्योंकि पहिले या १ का १ । या १ का १ ये दो राशि कल्पना किये थे । , आलाप --- -जैसा- [---१ / ५ राशि हैं इनका योग ६ वर्ग ३६ हुआ इसमें राशियोग ६ का धन २१६ जोड़देने से २५२ यह द्विगुण राशि- घन योग २४ (१+१२५) =२५२ के तुल्य हुआ | सार्धवृत्तम्- अथान्य द्वितीयपक्षं सति संभवे तु कृत्यापवर्त्यात्र पदे प्रसाध्ये | ज्येष्ठं कनिष्ठेन तदा निहन्या- चेहर्गवर्गेण कृतोऽपवर्तः ॥ ७४ ॥ कनिष्ठवर्गेण तदा निहन्या- ज्ज्येष्ठं ततः पूर्ववदेव शेषम् । स्पष्टार्थम् ॥ द्वितीय पक्षस्य वर्गप्रकृत्या पदं ग्राह्यमित्युक्तम्, अथ यदि द्वितीयपक्षे १ द्वितीयपक्षे ' इति मूलपुस्तकपाठः || 4