पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४७३

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बीजगणिते - घनहुआ,याध १ याव. का३या का ६ काघ १ । दूसरे राशिका धनहुआ | याव १ याव. का ३ या. काय ३ काघ १ । इन दोनों धनों का योग ' धनयो:--' इससूत्र के अनुसार हुआ बाघ १ याव. का ३ या. काव ३ काव १ याघ १ यात्र. का ३ या काव ३ काघ १ बाघ २ या. काव ६ दूना करनेसे हुआ ' याघ ४ या काव १२' यह पूर्वानीत 'याघद याव ४' इसके तुल्य है इसलिये समीकरण के अर्थ न्यास | याघ ८ याव ४ या. काब ० से यान ४ याव या. काव १२ समशोधन करने से हुए याच ४ याव ४ या. काव० याध.. याव. या. कात्र १२ यावत्तावत्का अपवर्तन देकर १ जोड़ने से हुए याव ४ या ४ का. रू १ याव. या काव १२ रु १ मूल १२ पहिले पक्षका मूल या २ रू १ आया और दूसरे पक्षका वर्गप्रकृति लेना चाहिये वहां अव्यक्तवर्ग सरूप है अब अव्यक्त को प्रकृति और रूप १ को क्षेप कल्पना किया बाद इष्ट २ कनिष्ठ कल्पना करके उसके वर्ग ४ को प्रकृति १२ गुण देनेसे ४८ हुआ इसमें १ जोड़कर मूल लेनेसे ज्येष्ठ ७ आया । अथवा कनिष्ठ २८ है इससे उक्तरीति के अनुसार ज्येष्ठ ६७ आया। यहां कनिष्ठ कालक का मान है और ज्येष्ठ दूसरे पक्षका मूल है अब उसका आयपक्षीय मूल के साथ समीकरण के लिये प्यास