पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४४२

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करें अनेकवर्णसमीकरणम् | उसको अभिन्न जानने के लिये ' हरतष्टे वनक्षेपे-' इस सूत्र के अनुसार न्यास । भा. २४० | क्षे. १३ | बल्ली १० हा. २३ । इससे उक्तरीति के अनुसार २ ३ १३ ० ६४६ अपने अपने हारों से ६१ लब्धि २२६ लब्धि के विषम होने से अपने अपने हारों में २२ तष्टित करने से शुद्ध करने से” हुए फिर ‘ क्षेपतक्षणलाभाढया -' इसके अनुसार लब्धि ..२० लब्धि ११ में ६ जोड़ देने से २० हुई इसमांति लब्धि और ६ गुणहुआ१ यावत्तावत् का मान गुण नीलक का मान है अब लोहितक १ इष्ट मान कर ' इष्टाहतस्वस्वहरेण — इसके अनुसार लब्धि गुण सक्षेप हुए लो २४० रू २० यावत्तावत् लो २३ रू १ पीतक लोहितक में शून्य ० का उत्थापन देने से यावत्तावत् का मान २० यही राशि है। अथवा ३०/७० ये शेष कल्पना किये तो उक्त रीति के अनुसार लो २४० रू ६० राशि हुआ ॥ उदाहरणम्- कः पञ्चगुणितो राशिस्त्रयोदशविभाजितः । यल्लब्धं राशिना युक्तं त्रिंशजाता वदाशु तम् ॥८७॥ अत्र राशिः या १ । एष पञ्चगुणस्त्रयोदशहतः फलं । कालकः १ एतत्फलं राशियुतं या १ का १ त्रिंशत्समं