पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४४१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

C बीजगणिते - • समशोधन करने से कालक का मान भिन्न नी का अपवर्तन देने से - ४ रू. १ का ३ कुक के लिये न्यास | भा. ४ । क्षे. १ । हा. ३ । का लब्धि के विषम होने के १ उक्तरीति के अनुसार लब्धिगुण हुए कारण अपने अपने हारों में शुद्ध करने से हुए लब्धि कालक का मान और गुण नीलक का मान है इष्ट पीतक १ मानकर ' इष्टाहत - ' इसके अनुसार लब्धि गुण सक्षेप हुए पी ४ रु. ३. कालक पी ३ रूं २ नीलक नी ८० रु २० का ६० आया २० बल्ली भाई १ १ इन से दोनों यावत्तावत् के मान में उत्थापन देते हैं वहां पहिला मान ६० रू ४० । १ कालंक का पी ४ रु ३. यह मान है तो कालक ६० दूसरा यावत्तावत् का मान. का मान या २३ का क्या, यों पी २४० रू १८० हुआ इसमें रूप ४० जोड़कर हर या . पी २४० रु २२० या २३ नी ८० रु ६० या २३ है । १ नीलक का पी ३ रू २. यह मान है तो नीलक ८० का क्या, योंपी २४० रु १६० हुआ इसमें रूप ६० जोड़कर हर या २३ का भाग देने से यावत्तावत् आया । ★ २३ का भाग देने से यावत्तावत् का मान भिन्न हुआ पी २४० रु २२० या २३