पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४४०

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t अनेकवर्णसमीकरणम् । ४३५ इसकारण आचार्य ने उपायान्तर किया है जैसा - अपने अपने भागहार से न्यून तथा अखिल शेष कल्पना किये ४० १६० और राशि या १ है से • देने से या २३ हुआ इसमें ६० का भाग देने से लब्धि कालक १ आई अब लब्धिका १ से हर ६० को गुणकर उसमें शेष ४० जोड़ देने से का ६० रू ४० यह गुणगुणित राशि या २३ के तुल्य हुआ या ० का ६० रू ४० या २३का ० का ६० रू ४० या २३ आया । फिर राशि या १ को २३ से गुणकर उसमें ८० का भाग देने से लब्धि न १ आई फिर लब्धि नी १ से हर ८० को गुणकर उसमें शेष ६० जोड़ देने से नी ८० रू ६० यह गुणगुणित राशि या २३ के तुल्य हुआ समशोधन करने से यावत्तावत् का मान. या • कषि नी ८० रु ६० • या २३ का० नी० रू० नी ८० रु ६० या २३ इन दोनों मानों का समीकरण के लिये न्यास का ६० रु ४० समशोधन करने से यावत्तावत् का मान-- या २३ नी ८० रु ६० या २३ यावत्तावन्मित हरोके तुल्य होने से छेदापगम करने से का ६० नी ० रू. ४० का० नी ८० रु ६० अया।