पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४३३

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४२८ बीजगरिखते- अच्छेषयोः फलयोर्युतिदर्शनाच गुण- योगो गुणकः कल्पितः रू १६ राशिः या १ | लव्धैक्य प्रमाणं कालकस्तद्गुणितं हरं गुणगुणिताद्राशेरपास्य जातं शेषम् या १६ का ३० एतत्फलेन कालकेन युतं या १६ का २६ पड्विंशतिसमं कृत्वा कुट्टकेन प्राग्व- जातं यावत्तावन्मानम नी २६६२७चत्र लब्ध्यत्रयो- गस्यैकता निर्देशात्क्षेपो न देयः ॥ 4 थोरणान्तरमा नवभिरिति को राशि: पृथङ्नवभिः सप्तभिः एणः उभयत्र त्रिंशता हृतो ययोः शेपैक्यं फलैक्थेन युतं षड्विंशतिसमं स्यात्तं राशिमाख्याहीत्यर्थः ।। उदाहरण- वह कौन राशि है जिसको अलग अलग नौ और सात से गुणकर दोनों स्थान में तीस का भाग देते हैं तो शेष तथा लब्धि का योग छब्बीस के समान होता है । यहाँ दोनों स्थान में एकही हर होने से और शेषों का तथा लब्धियों का योग होने से लाघव के लिये ६ | ७ इन गुणकों के योग १६ को गुणक कल्पना किया और राशि या १ कल्पना किया अब उस कल्पित गुणक १६ से राशि को गुण देने से या १६ हुआ इसमें ३० का भाग देने से यदि लब्धियों के योग के तुल्य लब्धि ग्रहण करें तो शेष भी दोनों शेषों के योग के तुल्य होगा इसलिये लब्धियों के ऐक्य के तुल्य • कालक १ कल्पना की अब उससे गुणे हुए हर का ३० को गुणगुणित राशि या १६ में घटा देने से शेष या १६ का ३० रहा यह शेषों के