पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४३४

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A अनेकवर्णसमीकरणम् | ऐक्य के तुल्य है इस में लब्धियों के ऐक्य का १ को जोड़ देने से २६ तुल्य हुआ इसलिये उनका समीकरण के अर्थ न्यास । या १६ का ५० रू. या० का ० रु २६ का २६ रु २६ ग्राई । या १६ इसके अभिन्नता के लिये कुक करते हैं हरत वनक्षेपे-' इसरीति अनुसार न्यास | समशोधन करने से यावत्तावत् की उन्मिति भा.२६ । क्ष. १०/ वल्ली हुई १ १ ४ १० O उक्तकिया करने से लब्धि गुण हुए से हुए, लब्धि के विषम होने से अपने र हारों में शुद्ध करने से हुए + क्षेपतक्षणलाभाया- 'इसके अनुसार लब्धि २६ में १ जोड़देने से लब्धि और गुणहुआ लब्धि यावत्तावत् का मान और गुण कालक का मान हुआ बाद नीलक १ इष्ट कल्पना करनेसे 'इष्टाहत - २७ १४ , इसके अनु- सार सक्षेप लव्धि और गुण हुआ आलाप -- राशि २७ है, ६=२४३ | २७ X ७० १८६ ६० अपने २ हारोंसे तष्टित करने नी २६ रु २७ यावत्तावत् नी १६ रु १४ कालक यहाँ नीलक का मान व्यक्त शून्य ● मानकर उत्थापन देनेसे यावत्ता- वत् और कालक का मान २७ | १४ आया । और ७ से गुण देने से हुआ २७ X इनमें ३० का भाग देने से ८ | ६