पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४३१

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बीजगणिते- रूपं ५१ में जोड़ देने से दूसरा राशि पी ६ रु ५६ हुआ, इसका . और पहिले राशि का योग पी ६ रू १०७ हुआ इसमें ६ का भाग देने से ५ रोप रहता है और लब्धि लो १ आई फिर हर ६ और लब्धि जो १ का घात शेष ५ युत भाज्य राशिके समान है इसलिये समीकरण करने के अर्थ न्यास | पी ६ लो० रू १०७ श्री • लो ६ रूं५ उन्मिति समशोधन करने से पीतक S अपवर्तन देने से लो ३ रू ३४, पी२ तोहरू १०२ आई ३ का कुक के लिये न्यात | भा. ३ । क्षे. ३४ । ● क्षपो हारहृतः फलम्- इसके अनुसार लब्धि गुण हुए २७ यहां क्षेप के ऋण होने से लब्ऋण आई | लब्धि पीतकका मान और गुण नीलकका मान हुआ अनन्तर हरितक १ इष्ट मानकर स्त्रहरेश-' इसके अनुसार लब्धिगुण सक्षेप हुए " इष्टाहतस्त्र- हृ ३ रू १७ पीतक लोहितक अब पीतक मान से दूसरे राशि पी ६ रू ५६ में उत्थापन देते हैं- १ पीतक का ह ३ रू १७ यह मान है तो ६ पीतक का क्या, यों ह १८ रू १६२ हुआ इसमें रूप ५६ जोड़ देने से दूसरा राशि हुआ ह १८ रू ४६ और पहिला राशि तो व्यक्तही है ५१ | इनके योग ह १८ रु ५ में ६ का भाग देने से ५ शेष रहता है । जब ५१ / ६१८६४६ इनके