पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४३०

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का ६० रु ४६ का० नी ३ रू २ समीकरण करने से कालककी उन्मिति नीवरू५१ आई ३ अपत्रर्तन देनेसे हुई नी १ रू १७ 1 का २ युद्धक के लिये न्यास | भा. १ / क्ष. १७ । हा. २ । 'हरतष्टे वनक्षेपे- 'इसके अनुसार न्यास | भा. १ । क्षे. १ १ ० चल्ली १ उक्तरीति से लब्धि गुण हुएई लब्धि के विषमहोने से अपने अपने हारों में शुद्ध करने से ढुए ‘ क्षेपतक्षणलामाढ्या- ' इसके अनुसार ८ जोड़ देने से लब्धि ∈ हुई इस भांति लब्धि गुण हुए, लब्धि कालकका मान और गुण नीलक का मान हुआ अब इष्ट पीतक १ मानकर 'इष्टा- इतस्वस्वहरेण -' इसके अनुसार लच्चि गुण सक्षेप हुए पी १ से कालक पी २ रु १ नीलक बालक मानसे का ६ रु ४६ इस अन्तर रूप में उत्थापन देते हैं- यदि १ कालक का पी १ रू ६ यह मान है तो ६ कालक का क्या, यों पी ६ रू. ५४ हुआ इसमें ऋ रूप ४६ जोड़देने से राश्यन्तर का मान पी ६ रू ५ आया इसमें ३ का भाग देने से स्वत: २ शेष रहता है। अब ६५ इस छान्तर को पहिले राशि के