पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४२९

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• बीजगणिते - हुए, लब्धि के विषम होने से अपने अपने हारों १ उक्तरीतिसे लब्धि गुण ५ में शुद्ध करने से हुए ' क्षेपतक्षणलाभाढ्या. --' इसके अनुसार लब्धि २ गुण हुएई लब्धि पीतक का मान और गुण लोहितक का मान हुआ अब हरितक १ इष्ट मानने से इष्टाहतस्वस्वहरेण -- ' इसके अनुसार लब्धि गुण सक्षेप हुए ( ह ७ रु ६ पीतक ह ३. रू २ लोहितक पीतक मानसे राशि में उत्थापन देते हैं-- दूसरा राशि पी ५४ रू ८ है । यदि १ पीतक का ह ७ रू ६ यह मान है तो पीतक ५४ का क्या, यों ह ३७८ रू ३२४हुआ इसमें रूप ८ जोड़ देने से दूसरा राशि ह ३७८ रु ३३२ हुआ। और पहिला राशि व्यक्तही है तथा पहिले राशिका क्षेप पी ४५ रहा उसको हरितक ७ से गुण देने से पहिले ● राशिका क्षेप ३१५ हुआ इसभांति पहिला राशि ह ३१५ | रु ५१ हुआ अब हरितक में शून्यका उत्थापन देने से राशि मिले ५१ | ३३२ | उक्त प्रश्नका प्रकारान्तर से उत्तर करते हैं--- ७ कल्पना किया कि पहिला राशि व्यक्त ५१ है और दूसरा या १ है इसमें छ का भाग देने से २ शेष रहता है और लब्धि कालक १ कल्पना की अब लब्धि का १ से गुणित ओर शेष २ युत हर ६ दूसरे राशिके समान है । का ६ रु २५१ इनका अन्तर हुआ का ६ रू ४६ इसमें ३ का भाग देनेसे २ शेष रहता है और लब्धि नीलक १ कल्पना की अब लब्धि नी १ और हर ३ का घात शेष २ युत अन्तर- . रूप भाज्य राशिके समान हुआ