पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४२३

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बीजगणिते- शेष तो ० रू ३ रहा, अब लब्धि लो ५ रू ३ और हर ५ के घात लो २५ रू १५ में शेष लो ० रू ३ जोड़ देने से लो २५ रु १८ यह पूर्वराशि के तुल्य है इसलिये समीकरण के अर्थ न्यास । लो २५ रू १८ समीकरण करने से यावतावत् की उन्मिति

अब इसकी व्यभिन्नता के लिये कुक करते हैं-

मा ० २५ । क्षे० १७ । ह्य ० ३६ ।

2 लो २५६१७ पी ३६ हुए बल्ली चाई | G १ १ 2 इससे लब्धि के विषम होने से अपने अपने हरों में शुद्ध करने से हुए क्षेप के ऋण होने से फिर अपने अपने हरों में शुद्ध करनेते हुए लब्धि पीतक का मान और गुण लोहितक का मान हुआ और हरितक १ इष्ट मानने से ' इष्टाहतस्वस्वहरेण -' इसके अनुसार लब्धिगुण सक्षेप हुए । है २५ रु ३ पतिक १५३ अपने अपने हरों से तष्ठित करने से हुए ५ ६ ३६ रू ५ लोहितक पीतक मानसे यावत्तावत् की उन्मिति पी ३६ रु ३५ में उत्थापन देते हैं-~१ पीतक का ह २५ रू ३. यह मान आता है तो ३६ पीतक का क्या, यो ह ६०० रू १०८ हुआ इसमें रूप. ३५ जोड़ देने से की उमिति ह ६०० रू १४३ हुई।