पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४२२

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अनेक समीकरणम् | इसके अभिन्नता के लिये कुक करते हैं- www. भा०६ । क्ष० ५ १ ' हरतष्टे वनक्षेपे-' इसरीति के अनुसार न्यास | भा ०६ | क्षे० १॥ वल्ली इससे लब्धिगुण हुए, लब्धि के विषम होने से २ १ अपने अपने हरों में ७ शुद्ध करने से हुए ‘ क्षेपतक्षणलाभाड्या -' इसके अनुसार लब्धि में १ जोड़ देने से लब्धि ८ हुई यह कालक का मान और गुण नीलक का मान हुआ । अब इष्ट पीतक १ कल्पना करने से 'इष्टाहतस्वस्वहरे- इसके अनुसार लब्धि गुण सक्षेप हुए , जौ ६ रू ८ कालक पी ४ रू ३ नीलक बालक मान से यावत्तावन्मान का ४ रू ३ में उत्थापन देते - यदि कालक १ का पी ६ रू ८ यह मान है ते। कालक ४ का क्या यो पी ३६ रू. ३२ हुआ इसमें रूप ३ जोड़ देने से यावत्तावत् का माम पी ३६ रू ३५ हुआ | इसमें दो आलाप घटित होते हैं (अर्थात् २ का भाग देने से पी १८ रु १७ लब्धि आती है और रू १ शेष रहता है तथा लब्धि पी १८ रु १७ में २ का भाग देने से रू १ शेष रहता है इसभांति उभयत्र शेष समान बचता है फिर पी ३६ रू ३५ इनमें ३ का भाग देने से पी. १२ रु ११ लब्धि आती है और रू. २ शेष रहता है तथा लब्धि पी १२ रू ११ में ३ का भाग देने से रू २ शेष रहता है यहां भी उभयत्र शेष तुल्य रहता है ) अव पी ३६ रू ३५ इसमें ५ का भाग देने से लो ५ रू ३ लब्धि आई। और इसमें ५ का भाग दनेखें