पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४२१

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४१६ बीजगणिते- तीन का भाग देने से दो शेष रहता और पांच का भाग देनेते तीनशेष रहता हैं इसी भांति लब्धि में दोका भाग देने से एक, तीनका भाग देने से दो और पांचका भाग देने से तीन शेष रहता है । कल्पना किया या १ राशि है । और लब्धि तादृश कल्पना की कि जिसमें हरका भाग देने से उद्दिष्ट शेष के तुल्य शेष रहें । जैसा- का २ रु १ मी ३ रू २ लो ५ रू ३ या १ में २ का भाग देनेसे का २ रू १ यह लब्धि आई, और इस में २ का भाग देने से शेष का० रू १ रहा, अब लब्धि का २ रू १ और हर २ के घात का ४ रू २ में शेष का० रू १ जोड़ देने से का ४ रू. ३ यह यावत्तावत् के तुल्य है इसलिये समीकरण करने से यावत्ता- वत् का मान का ४ रू ३ आया । इसमें एक आलाप घटित होता है । अर्थात् २ का भाग देने से का २ रू १ लब्धि है और रू १ शेष रहता है तथा लब्धि का २ रू १ में २ का भाग देने से रू १ शेष रहता है इसभांति दोनों स्थान में शेष तुल्य बचता है अब का ४ रू ३ इस राशि में ३ का भाग देने से नी ३ रू २ लब्धि आई और इस में ३ का भाग देने से शेष नी० रू २ रहा, अब लब्धि नी ३ रू २ और हर के घात नी ६. रू ६ में शेष नी० रू. २ जोड़ यह पूर्व राशिके तुल्य है इसलिये समीकरण के अर्थ न्यास । नी९रू. समीकरण करने का ४ नी ० रू ३ का ० नी ६ रू ८ • कालककी उमरू ५ का ४ आई