पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४१८

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A Pa अनेकवर्णसमीकरणम् | गुण लोहितक का मान हुआ अब हरितक १ इष्ट मान कर 'इष्टाहत - ' इससे सक्षेप लब्धिगुण हुए ह ६३ रु ४२ कालक इ ५ रू ३ लोहितक और अन्त्यवर्ण के मान हैं लो ६ रू ६ नीलक लो ७ रु ७ पीतक अब उस लोहितक मान ह ५ रू ३ से अन्त्यवर्ण में उत्थापन देना चाहिये ‘ भूयः कार्यः कुडकः - 2 इस सूत्र में कुट्टक शब्द से गुण का ग्रहण होता है क्योंकि — कुट्टक' यह गुण विशेष का नाम है इसलिये उस गुण से अन्त्यवर्ण में उत्थापन देना उचित है । प्रकृत में उस गुणरूप लोहितकमान से नीलक और पीतक के मान में उत्थापन देते हैं --- १ लोहितक का ह ५ रू ३ यह मान है तो ६ लोहितक का क्या, यों ६ ४५ रू २७ हुआ इसमें रूप ६ जोड़ देने से नीलक का मान ह ४५ रु ३३ हुआ | १ लोहितक का ह ५ रू ३ यह मान है तो७ लोहितक यो ह ३५ रू. २१ हुआ इसमें रूप ७ जोड़ देने से पीतक का मान ह ३५ रू २८ हुआ । अब नीलक और पीतक के आय कालक से व्यस्त उत्थापन देते हैं वहां कालक का मान पहिले कुट्टक के द्वारा ह ६३ रू ४२ यह आया है । पहिली यावत्तावत् की उन्मिति है । १ कालक का ह ६३ रू ४२ यह मान है तो कालक ५ का क्या, या २१ का क्या यों ह ३१५ रू २१० हुआ इसमें हर २१ का भाग देने से यात्रत्तावत् की उन्मिति ह १५ रू १० आई । दूसरी यावत्तावत्की नी ७ रु २१ उन्मिति 'है । नीलक का ह ४५ रू ३३ यह मान है तो या २१