पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४१७

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बीजगणिते- व नीलक मान से कालक मान- में उत्थापन देते हैं-- १ नीलक का लोह रू ६ यह मान है तो ७ नीलक का क्या, र्यो लो ६३ रू ४२ हुआ इसमें रूप २१ जोड़ देने से लो ६३ रू २१ हुआ यह कालक ५ के तुल्य है क्योंकि रूप २१ से हीन नीलक ७ कालंक ५ के तुल्य है, उसका कारण यह है कि पहिले सम- शोधन करने से शेष समान रहे हैं। यदि ५ कालक का लो ६३ रु २१ -हुआ ( इसीलिये यह मान है तो १ कालक का क्या, योलो ६३ रू २१, का ५ उत्थापन देने में सर्वत्र हर का भाग दिया भाग देने से भिन्न मान आता है इसलिये अनुसार कुक के अर्थ न्यास | जाता है ) प्रकृत में हर का भूय: कार्यः कुक:- इसके 9 भा. ६३ | क्षे. २१ । हा. ५ । ' हरतष्टे धनक्षेपे ---इसके अनुसार न्यास | भा. ६३ । क्ष. १ ॥ वल्ली १२ १ १ १. ० उक्त रीति से लब्धि , हरों में घटा देने से हुए ' क्षेपतक्षणलाभाढ्या- इसके अनुसार ३ हुए बल्ली के विषम होने से अपने अपने २ • लब्धि ४२ हुई इसभांति लब्धि गुण हुए ४२९ लब्धि कालक का मान और ३