पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४१६

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अनेकवर्णसमीकरणम् । समीकरण करनेसे कालक की उन्मिति का ५ इसीभांति दूसरी और तीसरी यावत्तावत् की उन्मितका लिये न्यास | यावत्तावत् २९ का नी ७ रु २१. या २१ पी ६ रु ४२ या २१ आदि देने से हुए नी ७ पी ० रू २१ नी० पी ६ रु ४२ समीकरण करने से नीलककी उन्मिति- माई 1 आई । नी ७ यह अन्य की उम्मिति है इसलिये कुक के अर्थ न्यास । मा. ६ | क्षे. २१ । वल्ली १ हा. ७ । ३ २१ उससे अथवा ' -क्षेपो हारहृतः फलम् ' इसके अनुसार लब्धि-३ गुण ● हुए क्षेप के ऋण होने से अपने अपने हारों में शुद्ध करने से हुए लब्धि नीलक का मान और गुण पीतक का मान हुआ अब ६ S लोहितक १ इष्ट मानने से इष्टाहतस्वस्वहरेण --' इसके अनुसार नीलक और पीतक के मान सक्षेप हुए लो ६ रू ६ नीलक लो ७ रु ७ पीतक