पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४०४

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अनेकवर्णैसमीकरणम् । यावत्तावत् का अपवर्तन देकर समच्छेद और छेदगम करने से हुए का ६ नी ० रू धू का० नी ५ रू ४ समीकरण करने से कालक की उन्मिति. नी ५ रू १ का ६ दूसरी और तीसरी यावत्तावत् उन्मिति का समीकरण के लिये न्यास । नी ५ रू ४ या १ पी ४ रू ३ समीकरण करने से नीलक की उम्मिति या १ यावत्तावत् का अपवर्तन देकर समच्छेद और छेदगम करने से हुए नी ५ पी ० रू ४ नी ० पी ४ रू ३ यावत्तावत् का तीसरी और चौथी यावत्तावत् उन्मिति का पी ४ रू ३ आई । पी ४ रू १ नी ५ समीकरण के लिये न्यास है . पी० लो ३ रू २ या १ लो ३ रू या १ वर्तन देकर समच्छेद और छेदगम करने से हुए । श्री ४ लो ० रू ३ आई । समीकरण करने से पीतक की उन्मतिलारू ? आई। यहां पी ४ की उन्मिति यही है इसलिये कुट्टक के अर्थ न्यास |