पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३९७

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बीजग रिते-- का ७ नी है पीई रु १०६३ या ५ यावत्तावत् का अपवर्तन देकर समच्छेद और छेदगम करने से हुए का २५ नी ३५ पी ४५ रु. ५०० का २१ नी २७ पी है. रू ३०० समशोधन करने से कालक की उन्मिति आई नी पी ३६ रु २०० का? चारका अपवर्तन देने से नी ३पी ६ रु ५० का १ भाज्य में दो वर्ण हैं इसलिये पीतक का मान व्यक्त रूप ४ कल्पना किया, १ पीतक का ४ मान है तो पतिक ६ का क्या, यो रूप ३६ हुआ इस में रूप ५० जोड़ देने से रूप १४ हुआ इस भांति भाज्य का स्वरूप नी रं रू १४ अब कुक के लिये न्यास | का १ हुआ भा. २ । क्षे. १४ । 6 इष्टा + क्षेपः शुध्येद्धरोद्धृत :--' इस सूत्र के अनुसार लब्धि गुण १४ इतस्त्र स्वरेण --' इसके अनुसार लोहितक इष्ट मानने से सक्षेप लब्धिगुण हुए लो ३ रू १४ कालक • लो १ रू० नीलक यहां लब्धि कालक का मान और गुण नीलक का मान है इनसे दोनों यावत्तावत् के मान में उत्थापन देना चाहिये सो इसभांति जैसा पहिला यावतावत् का मान है