पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३९५

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बीजगणिते - गुण नीलक का मान लो ७ रू० और लब्धि कालक का मान लो १० का १ नी रंपी १ रु १०० या १ में उत्थापन देते हैं ----कालक आदि के मान ऋणरूप १ से गुण देनेसे हुए लो १४ रु ८५ कालक लो ७ नीलक रू ८५ हुआ इनसे इस यावसावत् के मान लो. रू३३ पीतक ८ इनका योग लो ३ रू ११८ हुआ इस में रूप १०० जोड़कर हर १ का भाग देने से यावत्तावत्की उमिति लो ३ रु १८ आई। इसी भांति दूसरे यावत्तावत् के मान में उत्थापन देने से वही उन्मिति मिली । उनका क्रम से न्यास | T लो ३ रु १८ यावत्तावत् 5 लो १० रू ८५ कालक ७रू० नीलक ० रू ३३ पतिक यहां लोहितक का रूप ७ व्यक्त मान कल्पना किया फिर १ लोहि- तक का ७ मान है तो ३ लोहितक का क्या, यो अनुपात द्वारा तीन लोहितक का मान २१ आया इसमें रूप १८ जोड़ देने से यावत्तावत् की उन्मिति रू ३ आई । इसी भांति कालक की उन्मिति रू १५ नीलक की उन्मिति रू ४६ और पीतक की उन्मिति रु ३३ आई। उन का योग सौ के समान है ३+१५+४६+३३८१०० ३ द्रम्मके ५ कबूतर तो ३ के क्या, यो पांचही मिले । ५ द्रम्म के ७ सारस तो १५ के क्या, यों इक्कीस मिले | ७ द्रम्म के ६ हंस तो ४६ के क्या, यों तरेसठ मिले । ६ इम्म के ३ मोर तो ३३ के क्या, यों ग्यारह मिले । !