पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३९४

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अनेकवर्णसमीकरणम् । आई, वे दोनों यावत्तावत् की उन्मिति परस्पर तुल्य हैं इस कारण सभी- करण के लिये न्यास । का १४७ नी १३५ पी ३५ रु १०५०० का ११ पी १ रू १०० या १ समच्छेद और छेद्रगम करने से का १४७ नी १३५ पी ३५ रू १०५०० 4 का १७५ नी १७५ पी १७५ रु १७५०० समशोधन करने से कालक की उमिति भाई नी ४० पी १४० रू ७००० का २८ चार का अपवर्तन देने से नी १० पी ३५८ १७५० यहाँ भाग्य में दो वर्ण है इसलिये पीतक का मान व्यक्तरूप ३३ कल्पना किया और उससे पीतक ३५ को गुण देने से ११५५ हुआ इसको रूप १७५० में जोड़ देनसे ५६५ हुआ इस भांति कालक को उन्मिति हुई कार्ड यह अन्य की उन्मिति है इस कारण केन्यास | भा. १०.५६५ | ● क्षेपः शुभेतू' इस सूत्र के अनुचि ८५ई यही ,