पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३९०

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K ३८५ मोल ३१ हुआ और १ बैल का मोल ४ हुआ । लोहितक का व्यक्त मान २ कल्पना करने से घोड़ा आदि के मोल १७० | १५२/६२/८ हुए और ३ कल्पना करने से २५५२२८ | १३ | १२ हुए खच्चर का ३१ मोल है आलाप पहिले का धन ' या ५ का २ नी ८पी ७' है । यदि १ श्रोड़ा का ८५ मोल है तो पांच घोड़ों का क्या, यों पांच घोड़ों का मोल ४२५ हुआ यदि १ ऊंट का ७६ मोल तो दो ऊंटों का क्या यो दो ऊंटों का मोल १५२ हुआ | यदि एक तो आठ का क्या, यो आठ खच्चरों का मोल २४८ हुमा । यदि १९ बैल का ४ मोल है तो सात का क्या, यो सात बैलों का मोल २८ हुआ । और सब का योग समधन ८५३ हुआ । इस प्रकार चारों के धोडा आदि के मोल और सम धन हुए ४२५ + १५२+२४८+२८०८५३ २५५+५३२+ ६२ +४ =८५३ ५१०+३०४+३१ ८ ८८५३ ६८० + ७६ +१३ +४ =८५३ उदाहरणम्- 'त्रिभिः पारावताः पञ्च पञ्चभिः सप्त सारसाः | सप्तभिनव हंसारच नवनिर्वाणां त्रयम् || द्रम्मैरवाप्यते द्रम्मशतेन शतमानय | एषां पारावतादीनां विनोदार्थं महीपतेः ।। १ अत्र ज्ञानराज दैवज्ञाः- मुक्कानीलमहाप्रवालविलसद्वैदूर्यवः कमा- दम्भोधीपुरादिपावकामे तैर्माणास्मुिख्याः सखे । लभ्यन्ते सतयुग्ममानय शतद्वन्दन तेषां यदा वास्यामः पुनरुद्यमाय सघना रत्नाकरान्तःपुरम् ॥