पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३८९

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बीजगणिते का लो ४ यह मान है तो १६ पीतक का क्या यों सोलह पीतक का मान लो ६४ हुआ । अब उन मानों के योग ६२० + ६४-६८४ में हर ६ का भाग देने से कालक का मान लो ७६ आया | इसीप्रकार दूसरी कालक की उन्मिति में उत्थापन देते हैं - १ नीलक का लो ३१ यह मान है तो = नौलक का क्या, यो आठ नीलक का मान लो २४८ हुआ । १ पीतक का लो ४ यह मान है तो पूं पीतक का क्या, यों ऋण पांच पीतक का मान लो २० हुआ । अब दोनों मानों के योग २४८+२०=२२८ में हर ३ का भाग देने से चही कालक का मान लो ७६ आया । अब ७६ | ३१ | ४ इन कालक नीलक और पीतक के मान से यावत्तावत्की उमितियों में उत्थापन देते हैं --- कालक मान ७६ पांच से गुण देने से ३०० हुआ, नीलक मान ३१ ऋण छ गुण देने से १८६ हुआ, पीतक मान ४ ऋण छू से गुण देने से २४ हुआ इनका योग १७० हुआ इस हर २ का भाग देने से यावत्तावत् की उन्मिाते लो ८५ आई । इसी प्रकार दूसरे और तीसरे यावतायन्सान में उत्थापन देने से वही यावत्तावत् की उन्मति लो ८५ मिती । अब ज्ञातमानों का क्रम से न्यास | लो ८५६० यावत्तावत् लो ७६ रु० कालक लो ३१ रू० नीलंक लो ४ रू० पीतक wwwww यहां लोहितक का व्यक्तमान १ कल्पना करके अनुपात करते हैं-- यदि १ लोहितक का रू १ यह मान है तो ८५ लोहितक का क्या, ८५ आया यह एक कोड़ा यो यावत्तावत् का मान व्यक्त- १९८५ लो १ लो का मोल ७६ हुआ । एक खबर का का मोल है। इसीप्रकार एक ऊँट