पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३८३

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बीजगणिते- का २ रु ३०० या १ का १ रु ७० या ६ हरों में यावत्तावत्का अपवर्तन देकर समच्छेद और छेदगम करने से हुए का १२ रु १८०० का १ रु ७० एकवर्ण समीकरण की रीति से कालकका मान १७० आाया। यहां कालक का मान स्वतः इसलिये कुक करने का प्रयोजन नहीं, जिस स्थान में समशोधन करने के बाद हरका भाग देने से उन्मति मिलती है वहांपर कुट्टक के द्वारा अभिन्न की जाती है। अब आगत कालक मान से दोनों याबत्तावत् मान में उत्थापन देना चाहिये, १ कालक का १७० मान है तो २ कालक का क्या, यो दो कालक का मान ३४० आया इसमें ऋण रूप ३०० जोड़ देने से ४० शेष रहा इसमें हर १ का भाग देने से यावत्तावत्का मान ४० आया । इसीप्रकार एक कालक का मान १७० हुआ। इसमें रूप ७० जोड़ देने से २४० हुआ इसमें हर ६ का भाग देने से वही यावत्तावत् का मान आमा ४० इसप्रकार दोनों के धन आये १७० । ४० ।। - उदाहरणम् - अश्वाः पञ्चगुणाङ्गमङ्गलमिता येषां चतुर्णां धना- न्युष्ट्राश्च द्विमुनिश्रुतिक्षितिमिता अष्टद्धिभूपावकाः । तेषामश्वतरा वृषा मुनिमहीनेत्रेन्दुसंख्या: क्रमा- सर्वे तुल्य धनाश्च ते वद सपद्यश्वादिमूल्यानि मे ७६|| अत्रावादीनां मूल्यानि यावत्तावदीनि प्रकल्प