पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३८२

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

अनेकवर्ण समीकरणम् । अनेन यावत्तावदुन्मानद्रयेपि कालकमुत्थाप्य रूपाणि प्रक्षिप्य स्वच्छेदेन विभज्य लब्धं यावत्ताव- दुन्मानम् ४० । ( उदाहरण एक व्यापारी दूसरे से कहता है, कि हे मित्र ! जो तुम सौ रुपये दो तो मैं तुमसे धन में दूना होजाऊं और दूसरा यह कहता है कि यदि तुम दस रुपये मुझे दो तो मैं तुमसे धन में छ गुणा होजाऊं ता बतलाओ उन दोनों का धन क्या है । ) 360 कल्पना किया कि या १ ३ का १ ये दोनों के धन हैं। दूसरे के धन का १ में से सौ रुपये घटाकर पहिले के धन में जोड़ देने से या १ ऋ १०० हुआ यह द्विगुण दूसरे के शेष घन २ X ( का १ रु १०० ) तुभ्य है इसलिये समीकरण के अर्थ न्यास | के या १ का० रु १०० या ० कार रु २०० व शोधयेत्' इसके अनुसार यावत्तावत्का मान. छाया । फिर पहिले के धन या १ में से दस घटाकर दूसरे के धन में जोड़ने से का १ रू १० हुआ यह छ गुने पहिले के शेष धन ६ x ( या १ रू १० ) के तुल्य हैं इसलिये समीकरण के अर्थ न्यास | या ६ का ० रू ६० या ० का १ रू १० का १ रू. ७ या ६ आया । 'वर्णस्यैकस्यामितीनां बहुवे -' इसके अनुसार व्यागत यात्रता- बतक उन्मितियों का समीकरण के अर्थ न्यास | उक्तवत्सम शोधन करने से यावत्तावत्का मान •