पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३८०

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अनेकवर्ण समीकरणम् | ३७५ भाजकवर्ण ( यावत्तावत् ) का व्यक्त मान रू १४ हुआ और गुण भाज्य वर्ण ( कालक ) का व्यक्तमान रू १ हुआ | अब 'इष्टाहतस्वस्वहरे युक्ते –' इसके अनुसार इष्ट पीतक १ कल्पना किया और उससे गुणे हुए अपने अपने हर से लब्धि गुण को युक्त किया तो सक्षेप हुए पी २ रू १ का ११ यह यावत्तावत् और कालक का पी १ रू १४ या १ } मान है । नीलक का मान १ पहिले कल्पना करी चुके थे अब उन मानों का क्रम से न्यास । पी० रू १ नीलक पी २ रू १ कालक पी १ रू १४ यावत्तावत् यहां एक पीतक का मान व्यक्त शून्य • कल्पना करके उससे उत्था- पन देने के लिये वैगशिक करते हैं --- यदि १ पीतक का ● व्यक्तमान है तो ऋणपतक १ का क्या, य पीतक का मान ● आया इसको रूप १४ में जोड़ देने से यावत्तावत् काम | यदि १ पीतक का व्यक्तमान है तो २ पीतक का क्या, यो पोतक का मान आया इसको रूप १ में जोड़ देने से कालक का मान १ आया और नीलक का मान १ आया । इस प्रकार माणिक्य आदि के मोल १२४ १११ हुए | और पीतक का मान व्यक्त १ कल्पना करने से अनुपात द्वारा ऋण पीतक एक का मान १ आया उसको रूप १४ में जोड़ देने से यावत्तावत् का मान १३ आया इसी प्रकार कालक और नीलक के मान ३ | १ हुए यो माणिक्य आदि के मोल १३ | ३ | १ आये। और पीतक का मान व्यक्त २ कल्पना करने से माणिक्य आदि के मोल १२ । ५ । १ आये तथा पीतक का मान