पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३७९

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३७४ वीजगणिते - इसभांति प्रकृत में आयवर्ख शेष का अन्यपक्ष शेष में भाग देने का १ नी १ रू २८ आई । यहां अन्य- से यावत्तावत् की उन्मिात या २ " वर्ष की उमिति का है इसलिये यही अन्त्य उन्मिति हुई | कुक करना चाहिये परंतु भाज्य में दो वर्ण हैं इसकारण अन्येषि भाज्ये यदि सन्ति वर्णास्तन्मानमिष्टं परिकल्प्य साध्ये, इसके अनुसार प्रकृत में नलिक का मान व्यक्त १ कल्पना किया इसको रूप २८ में का १ रु २६ जोड़ देने से हुआ | अब भाज्य वर्णाङ्क को भाज्य, भाजक वर्णक को भाजक और रूप को क्षेप कल्पमा करके कुछ क के लिये न्यास । या २ भा. १ | क्षे. २९ । हा. २१ • हरतष्टे धनक्षेपे ' इसके अनुसार न्यास | भा. १ । क्षे. १ । उक्तरीति से बल्ली आई इससे लब्धि गुण हुए • लब्धि के विषम ० १ १ होने से अपने अपने लक्षण करने से लब्धि गुण हुए १ १ में शुद्ध २ फिर ' तद्वत्क्षेपे धनगते व्यस्त स्वादृणभाज्यके ' इसके अनुसार प्रकृत में माज्य के ऋण होने से इन लब्धि गुण को अपने अपने इन तक्षणों में शुद्ध करने से लब्धिगुण हुए; क्षेपतक्षण लाभ १४ को लब्धि में जोड़ देने से लब्धि १४. हुई और गुण यथास्थित रहा। यहां लब्धि १ २ 5