पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३७८

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असमीकरणम् | बासठ रुपये हैं परंतु वे दोनों व्यापारी धन में समान हैं तो कहो प्रत्येक रत्नों का क्या मोल है ) क्या, यहां माणिक्य, नीलम और मोती के क्रम से या १ १ का १ | नी. १ मोल कल्पना किये | यदि १ माणिक्य का या १ मोल हैं तो ५ का यो मोल आया या ५ | इसी प्रकार आठ नीलम और सात मोती के मोल हुए का ८ | नी ७ १ इनका योग नब्जे से युत एक का धन या ५ का ८ नौ ७ रू २० हुआ | इसीभांति दूसरे का धन या ७ का ६ नी ६ रू ६२ हुआ | उन दोनों के धन तुल्य हैं इसलिये सम- शोधन के लिये न्यास | या ५ का ८ नी रु ६० या ७ का ६ नी ६ रू ६२ दोनों पक्ष में पहिले पक्ष के आद्यवर्ण या ५ को घटा देने से भी वे दोनों पक्षशेष समानही रहे या ० का ८ नी ७ रु ६० या २ का ६ नी ६ रु ६२ यहां पहिले पक्ष में शून्य शेष का कुछ प्रयोजन नहीं है इसलिये ' आद्यं वर्णं शोधयेदन्यपक्षात् –' यह कहा है । इसीभांति दूसरे पक्ष के अन्यवर्ण का ६ नी ६ तथा रूप ६२ को दोनों पक्ष में घटा देने से भी वे पक्षशेष समान ही रहे का १ नी १ रु २८ या २ का ० नी० रूं ० यहां दूसरे पक्ष में कालकादिक शून्य शेष का कुछ प्रयोजन नहीं हैं इसलिये ' अन्यान्ं रूपाण्यन्यतः --' यह कहा है । यदि यावत्तावत् दो' का ' का १ नीरू २८, यह कालकादिक मान आता है तो एक याव- तावत् का क्या यों अनुपात करने से 'आद्य पक्षेऽन्यस्मिन्नाद्यवर्णो- मिति: स्यात्, यह उपपन्न हुआ ।