पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३८

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वर्णषयम् । प्रथम पक्ष = या १ रू १ द्वितीय पक्ष = २ रू. दं अब कही हुई रीति के अनुसार धन यावत्तावत् १ और धन यावत्ता- वत् २ का योग धन यावत्तावत् ३ हुआ | वन रूप १ और ऋणरूप इनका योग ऋणरूप ७ हुआ | ऐसाही आगे भी जानो ॥ ( २ ) पहिले पक्ष के व्यत्यय अर्थात् चिह्न बदलने से ये दो पक्ष सिद्ध हुए प्रथम पक्ष द्वितीय पक्ष इनमें सजातीय ॠण यावत्तावत् १ और वन याक्त्तावत् २ का यो वन यावत्तावत् १ हुआ । इसी प्रकार सजातीय ऋण रूप और ऋण रूप इनका योग ऋऋणरूप हं हुआ || ( ३ ) दूसरे पक्ष के व्यत्यय करने से ये दो पक्ष और सिद्ध हुए ---- प्रथम पक्ष = या १ रू १ । द्वितीय पक्ष - या २ रू ८ । इनमें सजातीय वन यावत्तावत् १ और ऋण यावत्तावत् २ का योग ऋण यावत्तावत् १ हुआ । इसी प्रकार सजातीय वन रूप १ और वन्न रूप ८ का योग धन रूप ६ हुआ || www या रं रू १ । या २ रूदं । ( ४ ) दोनों पक्षों के व्यत्यय करने से ये दो पक्ष और उत्पन्न हुए- या १ रू प्रथम पक्ष द्वितीय पक्ष यार्र रू ८ अब इन दोनों पक्षों में सजातीय ऋण यावत्तावत् १ ऋणयावसावत् रं का योग ऋण यावत्तावत् ३ हुआ। इसी प्रकार सजातीय ऋण रूप १ और घन रूप ८ इनका योग धन रूप ७ हुआ | इसी प्रकार सर्वत्र ऋण, धन, सजातीय और विजातीय का विवेचन जानो ॥ www -