पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३६३

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३५६ बीजगणिते. इदं वर्गान्तरं १४४ कल्पितकोटिकर्णान्तरेण २ भक्तं जातम् ७२ । अयं योगो द्विघान्तरेणोनयुतो ऽर्षित इति संक्रमणेन जातौ कोटिक ३५ । ३७।२ एवमेकेन भुजकोटिकर्णाः ७ । २४ १२५ । त्रिभिः १६ चतुर्भिर्व | २८ । ६६ । १०० | एवमनेकधा । एवं सर्वत्र | २ | उदाहरण---- जिस क्षेत्र में न्यून भुज का पद एकोन कोटिकर्णान्तर है वहां भुज, कोटि और कर्ण क्या होगा । न्यास । भु म. कोक 'दं गुणं गुणं छेदं---' इस विलोम कर्म के अनुसार न्यास । रु १ कोक इससे ज्ञात हुआ कि सैक चर्गित और त्रियुत कोटिकणीन्तर भुज होता है वहां कोटि और कर्ण इसका अन्तर २ इष्ट कल्पना किया फिर उस